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कविता

वन मोर चैन्स

सुमित पी.वी.


सुमित बाबू, नाउ वन मोर चैन्स
थेन गोपाल जी आउट'
ऐसा कहने वाले गोपाल जी
जब एक दिन कुछ कहे बिना
अचानक चल दिए तो
कहीं कुछ भारी कमी
महसूस हुई थी।

प्राइमरी कक्षाओं तक ही पढ़े थे
गोपाल जी
कहाँ से उनकी बातचीतों में
इतनी अँग्रेजी आ जाती थी!
एस वेल एस, ऑलथो, एस सून एस पोसिब्ल
वगैरह इतनी आसानी से
और इतने गंभीर होकर
प्रयोग करते थे
गोपाल जी!

बच्चों के दोस्त, बड़ों के यार
सबसे घुल मिलने का मिजाज
होते हैं कुछ लोग ऐसे भी
दूसरों को और पूरी दुनिया को
हँसा तो लेते हैं,
खुद हो जाते है चूर-चूर!

आघात तो इससे पहले भी
दो बार पहुँचा था उनके हृदय को
उम्र थी उनकी साठ-सत्तर के बीच
लेकिन आज सुनने में आ रहा है
कि यह बीमारी बीस-तीस के
अंतराल में भी पकड़ सकती है।
एक झटके में सब कुछ शांत... खत्म
सुनने में यह भी आया
कि अब माइनर नहीं, सीधा मेजर ही है
चैन्स भी नहीं है... सीधा मेन टेस्ट!
क्या करूँ? कब आएगा मेरा नंबर?


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